Sunday, 10 February 2008

निराला के जन्मदिन पर




जन्म- 21 फरवरी 1899 (बसंत पंचमी)
मृत्यु- 15 अक्टूबर 1961

अभी न होगा मेरा अन्त।
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल बसन्त-
अभी न होगा मेरा अन्त।

हरे-हरे ये पात
डालियां, कलियां कोमल गात ।
मैं ही अपना स्वप्न मृदुलकर
फेरूंगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्युष मनेहर।

पुष्प-पुष्प से तन्द्रालस लालसा खींच लूंगा मैं
अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं


द्वार दिखा दूंगा फिर उनको
हैं मेरे वे जहां अनन्त –
अभी न होगा मेरा अन्त।

मेरे जीवन का यह प्रथम चरण,
इसमें कहां मृत्यु
है जीवन ही जीवन
अभी पड़ा है आगे सारा यौवन
स्वर्ण-किरण-कल्लोलों पर बहता रे यह बालक मन

मेरे ही अविकसित राग से
विकसित होगा बन्धु दिगन्त
अभी न होगा मेरा अन्त।

(निराला की कविता)

सचमुच तुम्हारे राग से ही आज हिन्दी कविता दिगन्त। तुम्हारी दी हुई दृष्ठि है। जो इस धुंधलके में हमें रास्तों का पता दे रही है। जन्मदिन (11 फरवरी 2008 बसंत पंचमी) पर कोटिशः प्रणाम।

4 comments:

Arun Aditya said...

सचमुच कभी न होगा उनका अंत। निराला की कविता कालजयी है। जन्मदिन के लिए तुमने अच्छी कविता का चयन किया।

Anonymous said...

bahut badiya

Anonymous said...

achhee kavita hai - A.K Pathak

Anonymous said...

badhayee

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