साल आया है नया
फटे मोजे,
पाँव की उँगली दिखाई दे रही
साल आया है नया
दुनिया बधाई दे रही!
रोटियाँ ठंडे तवे पर
आग पानी-सी लगे
ज़िंदगी कब तक बताओ
मेहरबानी-सी लगे
बीतकर भी एक बीती धुन
सुनाई दे रही!
दूध-सा फटना दिलों का
साल-भर जारी रहा
हर नशा उतरा चढ़े बिन
सिर मगर भारी रहा
ज़िंदगी फिर बंद घड़ियों को
कलाई दे रही!
आपसी रिश्ते रहे
काई लगी दीवार-से
रह गए हम भुरभुरे
संकल्प की मुट्ठी कसे
उम्र पतली ऊन को
मोटी सलाई दे रही!
लगे उड़ने बहुत सारे सच
हवा में चील से
कई अफ़साने बिना जाने
दिखे अश्लील से
सुबह भी अब
सुबह होने की सफ़ाई दे रही!
मंज़िलों के नाम
उलझे रास्ते ही रह गए
बहुत नन्हे मोड़ भी
बस खाँसते ही रह गए
माँ की खाली पेट
बच्चों को दवाई दे रही!
डबडबाई आँख
हर तारीख को पढ़ती रही
बदचलन-सी सांस
अपनी सांस से लड़ती रही
रात, दिन को देह की,
सारी कमाई दे रही!
गीतकार - यश मालवीय
(आगन्तुकों को नये वर्ष की शुभकामनाऐं। आनेवाले वर्ष को लेकर जो विचार मेरे मन में थे, उनको शब्दों में पिरो कर मेरे प्रिय गीतकार यश मालवीय ने पहले से रख दिया है। मैं उनके इस गीत के साथ नव वर्ष की शुरूआत कर रहा हूँ। - प्रदीप मिश्र)
8 comments:
aapsi rishte rahe---- bahut achha likha naya saal mubarak
आपको नए साल की अनेक शुभकामनाएं और बधाई।
कविता अच्छी है। नए साल की बधाई।
bahut achchhi kavita post ki hai pradeep bhai ne.
happy new year.
यश मालवीय मेरे भी प्रिय गीतकार है.
बहुत अच्छे गीत के साथ नये साल की शुरुआत.
बधाई
सभी साथियो को नववर्ष की बधाई।
bhai pandit ji '
you have given a good chance to read a heart tuching song on the morning of new year. congratulation to shree yashmalvya as well as you also .
साल पुराना हो गया , अब नई पोस्ट डालो।
Post a Comment