Wednesday, 19 March 2008

राग तैलंग



समय की बात रागतैलंग के फुटकर गद्य लेखन का संग्रह है। राग मूलतः कवि हैं और सरकार की नौकरी बजाते हैं। पुस्तक के फ्लैप पर रामप्रकाश त्रिपाठी ने लिखा है -
“यह संग्रह गद्यात्मक निबंध में काव्याभास पैदा करने का प्रभावी कारनामा है।......ये मानवीय करूणा के दस्तावेज हैं। मानवीयता की पक्षधरता ही शायद सबसे सकारात्मक राजनीति होती है। राग को बधाई। ”

राग को मेरी भी बधाई । उनके ताजा कविता संग्रह का विमोचन 12 अप्रैल को भोपाल के भारत भवन में होने वाला है। तो फिर एक कविता हो जाए - प्रदीप मिश्र

सवाल करो


सवाल करो खड़ो होकर
अगर चीजें तुम्हें समझ नहीं आतीं

अगर तुम्हारे पास
वे चीजें नहीं हैं जो दूसरों के पास हैं तो सवाल करों

सवाल करो
अगर तुम्हे शिक्षा सवाल करना नहीं सिखाती
अगर उत्तरों से और सवाल पैदा नहीं होते
तो सवाल करो

सवाल करो
अगर तुम्हारे होने की महत्ता को स्वीकार नहीं किया गया
अगर तुम अपने आप के होने को
अब तक साबित नहीं कर पाए हो तो सवाल करो

सवाल करो
और जानो समझो ऐसा क्यों है

ऐसा कौन चाहता है कि सवाल ही पैदा नहो

ऐसा होने से वाकई किसका बिगड़ता है और
किसका क्या बनता है
इस बारे में सबसे सवाल करो

इस शोर भरे समय की चुप्पी तोड़ना चाहते हो तो
सवाल जरूर करो।

- राग तैलंग

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